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Showing posts from July, 2017

मलेरिया

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जिस क्षेत्र में हम सेवा करते हैं , मलेरिया एक समान्य बीमारी है . समान्य बीमारी होने के चलते बहुत बार हम यह देखते हैं कि अन्य कारणों का बुखार को मलेरिया और मलेरिया को अन्य कारणों का बुखार कहकर इलाज किया जाता है . आइए , मलेरिया के बारे में जानें . कारण : प्लासमोडियम नामक किटाणू से होता है जो मच्छर काटने के द्वारा फैलता है . लक्षण : जाड़ा या ठंडा के साथ बुखार . बुखार के साथ सिरदर्द , थकावट , बदन दर्द , उल्टी होना या लगना आदि होता है . मरीज को इलाज के आभाव में गंभीर बीमार हो सकता है . जाँच : स्लाइड माइक्रोस्कोपी और एंटीजन किट टेस्ट . बहुत जगहों में एंटीबाडी किट टेस्ट किया जाता है जो स्तानिक इलाकों (Endemic areas - जहां मलेरिया सामान्यतः पाया जाता है) में कोई उपयाग का नहीं है . यदि स्लाइड टेस्ट और एंटीजन टेस्ट में आपका मलेरिया नहीं निकलता है , तो आपको वायरस संक्रमण हो सकता है जिसमें भी मलेरिया जैसे लक्षण आ सकते हैं .  कभी कभी , मलेरिया का जाँच नेगेटिव होने पर भी एक दो दिन बाद मलेरिया जाँच दोबारा करना पड़ता है .  इलाज : बिना स्पष्टीकरण मलेरिया का इलाज करना आपको और सम

बुखार

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1. बुखार क्या है ?   जब शरीर का तापमान , सामान्य (37.7 डिग्री सेल्सियस / 99.9 डिग्री फारेनहाइट ) से ज़्यादा हो जाता है , उसे बुखार कहते है . एक नज़रियत से देखें तो , बुखार शरीर का बाहरी संक्रमी कीटाणुओं से लड़ने का तरीका है . जब किसी को बुखार होता है , तो उसका मतलब यहीं है कि आपका शरीर में कुछ ऐसा प्रक्रिया हो रहा है जिससे शरीर लड़ने का कोशिश कर रहा है . ऐसी स्थिति शरीर में कीटाणुओं का संक्रमण होने पर , टीकाकरण लेने पर , कुछ कुछ दवाई खाने पर , कुछ चीज़ से एलर्जी होने पर आदि होता है . 2. मुझे कभी कभी शरीर के अन्दर बुखार होते हैं . कैसे स्पष्ट कर सकते हैं कि मुझे असली में बुखार है ?   आपके शरीर में बुखार होने का स्पष्टीकरण के लिए थर्मामीटर से अपना तापमान नापना होगा . थर्मामीटर को आपका मूह में या आपके हाथ के नीचे २ मिनट रखा जाता है . आपको बुखार तभी है जब आपका मूंह का तापमान 99.9 डिग्री फारेनहाइट (37.7 डिग्री सेल्सियस ) से ज़्यादा है या आपका हाथ के नीचे का तापमान 98.9 फारेनहाइट (37.2 डिग्री सेल्सियस ) से ज़्यादा है . 3. कौन कौन कीटाणुओं का संक्रमण से बुखार होता है ? 

मडु़वा - एक अदभुत अनाज

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मडु़वा एक प्रमुख पारंपरिक अनाज है . माना जाता है कि मड़वा भारत में लगभग 4000 साल पहले आया था . किसान भाइयों से अनुरोध है कि हर साल अपने खेत में कम से कम 25% ज़मीन में मड़वा जैसे अनाज को पैदावार करें . १ .  मडु़वा  कम पानी और अनुर्वर ज़मीन में पैदा हो सकते हैं . २ .  मडु़वा  उच्च पोषक गुण से भरपूर है . ३ .  मडु़वा  की बहुत साल तक सुरक्षित रहने का गुण के कारण अकाल ग्रसित क्षेत्र के लिए बहुत मूल्यवान होता है . ४ .  मडु़वा  भोजन के अनाज के साथ पुआल भी देता है जो जानवर के चारा के रूप में स्तिमाल आते हैं . ५ . हमारे देश की गरीबी और कुपोक्षण को दूर करने के लिए  मडु़वा  जैसे अनाज की महत्वपूर्ण भूमिका है . ६ .  मडु़वा , पोषण का मापदंड से चावल या गेहूं से कहीं आगे है . ७ . इस अद्भुत अनाज में क्याल्सियम का मात्र बहुत अधिक है . ( जो गेहूं या चावल से करीब ८ - १० गुनाह ज्यादा है ) ८ . बढते बच्चे गर्भवती महिला , दूध पिलाते माँ आदि के लिए  मडु़वा  एक श्रेष्ट भोजन पदार्थ है . ९ . इसके अलावा , मड़वा का उच्च रेशा की मात्रा इसको हर उम्र के लोगों के लिए स्वस्थ आहा

मधुमेह (डायबिटीज)

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मधुमेह ( डायबिटीज ) क्या है ?   मधुमेह एक रोग है जिसमें शरीर इंसुलीन (insulin) पैदा नहीं करता अथवा ठीक प्रकार से उपयोग नहीं करता . इंसुलीन एक हॉर्मोन है जो शक्कर को आपके शरीर मे आवश्यक ऊर्जा में बदलता है . मधुमेह कैसा होता है ?   विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ आनुवंशिक ( पैत्रिक ) कारणों से और खान पान तथा पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने से मधुमेह होता है . परन्तु यह देखा गया है कि आप को मधुमेह होने का खतरा है यदि - आपके परिवार में किसी को मधुमेह है . - आपका वजन ज़रुरत / समान्य से ज्यादा / अधिक - आपका उम्र ४० साल से ऊपर है - आप ज्यादा समय निष्क्रीय रहते है - आपको गर्भावस्था के दौरान मधुमेह हुआ था अथवा आपका शिशु का वजन जन्म के समय ४ किलो या इससे अधिक था याद रखें कि अधिकांश लोगों में मधुमेह होने पर कोई लक्षण नहीं होता . आपमें मधुमेह का पता करने का केवल यहीं तरीका है कि आप खून का जाँच कराएँ . मधुमेह का इलाज कैसे किया जाता है ?  मधुमे

डायरिया

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डायरिया बच्चों में एक समान्य बीमारी है . पर यह बड़ों में भी होता है . डायरिया तभी बताया जाता है जब पैखाने का आवृत्ति समान्य रूप से ज़्यादा है या पैखाने का खनापन समान्य से पतली है . डायरिया का इलाज को इतना महत्त्व क्यों दिया गया है ? डायरिया शिशुओं और बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है . डायरिया के कारण बच्चों में तरल पदार्थ की कमी हो जाती है , जिससे बच्चों में पानी की काफी कमी हो जाता है , जिससे बच्चे सुस्त और कमजोर हो जाते हैं , यहाँ तक कि कभी कभी मौत भी हो जाता है . डायरिया कैसे और क्यों होते हैं ? मरीज का मूह से डायरिया बीमारी पैदा करने वाले कीटाणु शरीर में घुसने से डायरिया होते हैं . ये कीटाणु अधिकतम वायरस होते हैं . पर बैक्टीरिया से और प्रोटोजुआ परिवार के कीटाणु का संक्रमण से भी डायरिया होता हैं . ये कीटाणु पैखाने से प्रदुषित पानी और खाने का सेवन से होता है . इसके अलावा हाथ गंदा रहने से , ये कीटाणु खाते समय और बच्चे हाथ मूंह में डालने से शरीर में घुस जाते हैं . संक्षिप्त में कहें , डायरिया इसलिए होता है क्योंकि मरीज का शरीर का अन्दर पैखाने का अंश