डायरिया

डायरिया बच्चों में एक समान्य बीमारी है. पर यह बड़ों में भी होता है. डायरिया तभी बताया जाता है जब पैखाने का आवृत्ति समान्य रूप से ज़्यादा है या पैखाने का खनापन समान्य से पतली है.

डायरिया का इलाज को इतना महत्त्व क्यों दिया गया है?

डायरिया शिशुओं और बच्चों की मृत्यु का एक प्रमुख कारण है. डायरिया के कारण बच्चों में तरल पदार्थ की कमी हो जाती है, जिससे बच्चों में पानी की काफी कमी हो जाता है, जिससे बच्चे सुस्त और कमजोर हो जाते हैं, यहाँ तक कि कभी कभी मौत भी हो जाता है.

डायरिया कैसे और क्यों होते हैं?

मरीज का मूह से डायरिया बीमारी पैदा करने वाले कीटाणु शरीर में घुसने से डायरिया होते हैं. ये कीटाणु अधिकतम वायरस होते हैं. पर बैक्टीरिया से और प्रोटोजुआ परिवार के कीटाणु का संक्रमण से भी डायरिया होता हैं. ये कीटाणु पैखाने से प्रदुषित पानी और खाने का सेवन से होता है. इसके अलावा हाथ गंदा रहने से, ये कीटाणु खाते समय और बच्चे हाथ मूंह में डालने से शरीर में घुस जाते हैं. संक्षिप्त में कहें, डायरिया इसलिए होता है क्योंकि मरीज का शरीर का अन्दर पैखाने का अंश मूंह से चला गया है.


यदि डायरिया ऐसे होते हैं, तो इससे हम ज़रूर बच सकते हैं. और विस्तार में बताइए.

डायरिया से बचने के लिए आपको सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि आप जो खा पी रहे हैं वे साफ़ हो. उसके लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें.

1. अपने हाथ को खाने से पहले, बच्चों को भोजन कराने से पहले, सोच के बाद, बच्चों को सफाई के बाद और खाना बनाने से पहले साबुन-पानी या राख पानी से अवश्य धोयें.




. सुनिश्चि करें कि आपका पीने का पानी साफ़ हो. पानी को उबालने से आप स्थिर रह सकते हैं कि आपका पानी साफ़ है. पर यह भी ज़रूरी है कि उबाला हुआ पानी को साफ़ बर्तन में ढक कर रखें एवं पानी निकालने के लिए डब्बू को इस्तेमाल करें.


. आपका खाना में गन्दगी पहुँचाने वाला एक प्रमुख कारण है मखी. मखी से आपका खाने को बचाकर रखने का दो तरीका है. पहला है कि खाने को हमेशा ढककर रखें. दूसरी है कि माखी को बढने न दें. माखी तभी बढते हैं जब आपके आसपास गन्दगी फैला है या खुले में मॉल पडा है. इसका मतलब यह है कि खुले में टट्टी करना डायरिया फैलाने का एक कारण है. खुले में टट्टी करने से पानी का स्त्रोत भी प्रदुषित हो जाता है. इसलिए बारिश में डायरिया का मरीज बढ़ जाते हैं.



अपने घर में किसी को डायरिया होने पर क्या करें ?

सही समय पर उपचार से डायरिया से आसानी से निपटा जा सकता है. . आर. एस. का पैकट साफ़ पानी में मिलाकर मरीज को दे. इसके अलावा जिंक गोली या सिरप मरीज को जल्दी ठीक होने में मदद करता है. अगर ओ.आर.एस घर में उपलब्द नहीं है, तो नमक-चीनी और उबाले पानी का घोल बनाकर दे सकते हैं. इसके लिए 1 गिलास पानी में 1 चम्मच चीनी और एक चुटकी नमक इस्तेमाल करना है. स्तन पान करने वाले बच्चों को सामान्य से ज़्यादा स्तन पान कराएँ.

मरीज को डॉक्टर के पास ले जाने का ज़रुरत कब पड़ता है?

निम्नलिखित परिस्तिथियों में कोई भी होने पर मरीज को डॉक्टर के पास अवश्य ले जाएँ -
1. मरीज को डायरिया के साथ पेट दर्द या पैखाने के रास्ते दर्द हो.
. मरीज का टट्टी में खून हो.
. टट्टी काला और चिकनाई हो.
. डायरिया के साथ मरीज को बुखार है.
. डायरिया के साथ उल्टी है.
. मरीज ज्यादा सुस्त है.

अक्सर देखा जाता है कि झोला छाप और कुछ डॉक्टर डायरिया के लिए अनेक दवाइयां लिखते हैं जिसमें कभी कभी एंटीबायोटिक भी रहता है. आपका राय बताएं

बहुत कम तरह के डायरिया में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करना पड़ता है. और, बिना कारण एंटीबायोटिक का सेवन करने पर मरीज का पेट और आंत पर खराब असर हो सकता है. याद रखें कि ज़्यादातर डायरिया ओ.आर.एस और जिंक दवाई से ठीक हो जाना चाहिए.

इलाज से बेहतर है बचाव / रोकथाम

Comments

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  2. डायरिया को हिंदी में दस्त कहा जाता है। स्वास्थ्य संबंधी ब्लॉग में भाषा का प्रयोग साहित्यिक नहीं बल्कि साधारण ही होना चाहिये।
    ब्लॉग का उद्घाटन पर आपको हार्दिक बधाई। ईश्वर आपको आशीष दें।

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