मडु़वा - एक अदभुत अनाज


मडु़वा एक प्रमुख पारंपरिक अनाज है. माना जाता है कि मड़वा भारत में लगभग 4000 साल पहले आया था. किसान भाइयों से अनुरोध है कि हर साल अपने खेत में कम से कम 25% ज़मीन में मड़वा जैसे अनाज को पैदावार करें.

मडु़वा कम पानी और अनुर्वर ज़मीन में पैदा हो सकते हैं.

मडु़वा उच्च पोषक गुण से भरपूर है.

मडु़वा की बहुत साल तक सुरक्षित रहने का गुण के कारण अकाल ग्रसित क्षेत्र के लिए बहुत मूल्यवान होता है.

मडु़वा भोजन के अनाज के साथ पुआल भी देता है जो जानवर के चारा के रूप में स्तिमाल आते हैं.

. हमारे देश की गरीबी और कुपोक्षण को दूर करने के लिए मडु़वा जैसे अनाज की महत्वपूर्ण भूमिका है.


मडु़वा, पोषण का मापदंड से चावल या गेहूं से कहीं आगे है.

. इस अद्भुत अनाज में क्याल्सियम का मात्र बहुत अधिक है. (जो गेहूं या चावल से करीब ८-१० गुनाह ज्यादा है)

. बढते बच्चे गर्भवती महिला, दूध पिलाते माँ आदि के लिए मडु़वा एक श्रेष्ट भोजन पदार्थ है.

. इसके अलावा, मड़वा का उच्च रेशा की मात्रा इसको हर उम्र के लोगों के लिए स्वस्थ आहार बना देते है.

१०. हमारे देश के विकसित इलाकों और बड़े शहरों में और अन्य देशों में मडु़वा का स्तिमाल व्यापित रूप में हो रहा है. पर गाँव-देहात इलाकों में इसके गुण के बारे में लोग जानकार नहीं है जिसके चलते मडु़वा का पैदावार या सेवन नहीं का बराबर हो गया है.


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